Cardamom Benefits: इलाइची ऐसी चीज है जो देखने में रत्तीभर है लेकिन यह कई बीमारियों को बचाने की शक्ति रखती है. अध्ययनों के मुताबिक इलाइची ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कैंसर समेत कई बीमारियों के जोखिम को कम करती है. इलाइची संभवतः हर भारतीयों के किचन में मौजूद रहती है. इसे लोग गरम मसाले के तौर पर करते हैं लेकिन अगर आप यदा-कदा इलाइची चबाते हैं तो इससे कई बीमारियों का खतरा कम हो सकता है. यह बात हम नहीं बल्कि विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है. इलाइची में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाया जाता है जिसके कारण यह कैंसर समेत कई क्रोनिक बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है.
इलाइची से एंग्जायटी, हिचकी और स्किन डिजीज को भी दूर किया जा सकता है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 3 ग्राम इलाइची में 0.22 ग्राम प्रोटीन, 1.37 ग्राम कार्बोहाइड्रैट और 0.56 ग्राम फाइबर पाया जाता है. इन सबके अलावा इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन और फॉस्फोरस भी पाए जाते हैं.
इलाइची के फायदे
1.पाचन तंत्र मजबूत करती- बीबीसी के मुताबिक इलाइची पाचन तंत्र को मजबूत करती है. अगर आप खाना खाने के बाद एक-दो इलाइची चबाते हैं को इससे डाइजेस्टिव सिस्टम सही रहता है और एसिडिटी का जोखिम भी कम हो जाता है. यह गैस और ब्लॉटिंग को कम करने में मदद करती है.
2. ब्लड शुगर कम करती-इलाइची के पाउडर ब्लड शुगर को कम कर सकती है. स्टडी के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इलाइची ब्लड शुगर को तेजी से कम करती है.
3. हाई ब्लड प्रेशर कम करती-इलाइची में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर में ब्लड प्रेशर को मैनेज करने में मदद करते हैं. इलाइची डाययूरेटिक है जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है.
4. कैंसर से लड़ने वाला गुण- हेल्थलाइन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कैंसर के जोखिम को कम करने में इलाइची बहुत गुणी है. चूहों पर अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन चूहों को इलाइची पाउडर दिए गए उनमें कैंसर होने की आशंका 90 प्रतिशत तक कम हो गई.
5. एग्जाइटी को दूर करती है-इलाइची तन के साथ-साथ मन को भी खुश रखती है. इलाइची के सेवन से बेचैनी या डिप्रेशन को दूर किया जा सकता है. अगर एंग्जाइटी की बीमारी है तो इलाइची को पानी में उबाल दें और उसका सेवन करें. इससे एंग्जाइटी की समस्या दूर हो सकती है.
अब घर बैठे होगी सर्वाइकल कैंसर की पहचान
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में महिलाएं लक्षण दिखने के बाद भी शर्म या अन्य कारणों से जांच करवाने नहीं आतीं। जब समस्या बढ़ जाती है तो अस्पताल पहुंचती हैं। ऐसे में गंभीर हो चुके रोग का इलाज कठिन हो जाता है। किट के आने के बाद महिलाएं आसानी से जांच कर सकेंगी। लेडी हार्डिंग अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग में कैंसर विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. शारदा ने बताया कि किट को लेकर शोध चल रहा है और उम्मीद है कि जल्द यह महिलाओं को उपलब्ध हो जाएगी।
किट की मदद से रोग जल्द आएगा पकड़ में
ऐसा देखा गया है कि ओपीडी में आने वाली अधिकतर महिलाएं परेशानी को नजरअंदाज करती हैं। जिससे समस्या बढ़ जाती है। यदि बच्चेदानी के मुंह पर होने वाले इंफेक्शन को शुरुआती दौर में ही पकड़ लें तो 100 फीसदी इलाज हो सकता है, लेकिन महिलाएं रोग गंभीर होने पर आती हैं। यदि महिलाएं 30 से 45 की उम्र में नियमित जांच करवाती हैं तो कैंसर होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। बता दें कि स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे ज्यादा कैंसर है।
महिलाएं अक्सर करती हैं नजरअंदाज
डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर ओपीडी में आने वाली महिलाओं से बातचीत के बाद पता चलता है कि अधिकतर महिलाएं परेशानी होने के बाद भी इसे नजरअंदाज करती हैं। यदि महिलाएं समय पर समस्या की पहचान कर इलाज शुरू कर देती हैं तो पूरा इलाज हो सकता है।
ऐसे करता है वायरस असर
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सर्वाइकल कैंसर होने के लिए 99.9 फीसदी एचपीवी वायरस जिम्मेदार है। इसके इंफेक्शन से ही समस्या बढ़ती है। हालांकि, 80 फीसदी मामलों में महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह अपने आप ही ठीक हो जाती है, लेकिन 20 फीसदी मामलों में यह वायरस सोए हुए अवस्था में महिला के निजी अंग में रहता है। जब महिला की इम्यूनिटी कमजोर होती है। एनीमिया बढ़ता है और पोषण घटता है तो वायरस सक्रिय होकर इंफेक्शन बढ़ाता है जो आगे चलकर 5 से 20 सालों में कैंसर बना देता है।
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